क्वारंटाइन क्या होता है ये जरुरी क्यों है
क्वारंटिन का अर्थ संघरोध होता है , क्वारंटिन इंग्लिश शब्द है जबकि हिंदी का शब्द संघरोध होता है , क्वारंटिन मे संक्रामक रोगों या जीवो के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से लोगो को एक दुसरे से घुलने -मिलने पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है , क्वारंटिन के अन्तर्गत होने वाले रोग हैजा , ज्वर , चेचक टाइफायड , कुष्ट , प्लेग तथा कोरोना वायरस ये सभी प्रमुख रोग है , पहले के ज़माने मे जिन व्यक्ति को इन रोगों का शिकार हो जाता था उसे सभी स्वस्थ व्यक्ति से अलग रखा जाता था जिससे संक्रामक फैलने का खतरा कम हो जाता था इसे ही क्वारंटिन कहा जाता है / इन संक्रामक व्यक्ति को अगर ऐसे ही छोड दिया जाय तो यह बहुत तेजी से फैल जायेगा और संभाल नहीं पायेगा, क्वारंटिन के अन्तर्गत आने रोग संक्रामक होता है जो एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति के संपर्क मे आने से बहुत तेजी से फैलता है इसके लिए सरकार क्वारंटिन जैसे व्यबस्था को अपनाया है , क्वारंटिन का मतलब होता है संक्रामक व्यक्ति को एक दुसरे से मिलने से रोकना , अत्यधिक लोगो मे घुलने मिलने से रोकना , भीड़ वाले जगह जाने से रोकना , उस रोगी को एक अलग रूम मे रखा जाता है जिसमे सभी जरुरत मंद सामान उपलब्ध होता है रोगी के संपर्क मे कोई भी व्यक्ति को आने नहीं दिया जाता है उसके सभी हरकत पर नजर रखा जाता है , अगर वह रोगी कही बाहर निकलता है तो उस पर अफ आई आर तक हो सकता है , अलग -अलग संक्रामक बीमारी क्वारंटिन अबधि अलग -अलग होता है , यह संक्रामक केबल मनुष्य मे ही नहीं होता है वल्कि पेड़ पैधो मे भी होता है जानवरों मे भी होता है यह ऐसा कीटाणु होता है जो किसी भी वस्तु पर बहुत दिनों तक रहकर संपर्क मे आये किसी भी चीज को संक्रमिक कर सकता है /
क्वारंटिन का लाभ क्या-क्या होता है ?
संक्रमिक रोग का यदि कोई लक्षण दिखे अपने आप को क्वारंटिन करे जिससे आप अपने परिवार को बचाने मे कामयाब हो जाते है आपसे किसी को संक्रमिक फैलने का डर नहीं रहता है , क्वारंटिन करके आप अपनी जिंदगी तथा दुसरे के जिन्दगी को आसानी से बचा सकते है , इस प्रकार आप संक्रमिक रोग को फैलने से रोक सकते है ,
क्वारंटिन से किसी भी प्रकार खतरा नहीं रहता है वल्कि रोगों से बचने का सरल और सिंपल उपाय है /
क्वारंटिन शब्द कहा से आया ?
क्वारंटिन शब्द सबसे पहले क्वारंटेना [quarantena] से आया है , जिसका उपयोग वेनिशीयन भाषा मे किया जाता है इसका अर्थ 40 दिन का होता है | जब सबसे पहले प्लेग रोग यूरोप की 30 फीसद आबादी को अपने मौत के मुँह मे ले लिया था तब इसके बाद क्राएशिया के यहाँ आने वाले जहाजो और उन पर मौजूदा लोगो को एक द्वीप पर 30 दिन तक अलग रहने का आदेश दिया था ,इस दौरान ध्यान दिया जाता था की किसी भी व्यक्ति को प्लेग की बीमारी तो नहीं है , इस क्वारंटिन के समय को बढाकर 40 दिन कर दिया गया था जब इसका अवधि 30 दिन का था उसको ट्रेनटाइन कहा जाता था और जब ये 40 दिन का हुआ तो क्वारंटिन कहा जाने लगा था इसी तरह इस शब्द का उत्पत्ति हुआ था क्वारंटिन कर देने से प्लेग की बीमारी मे बहुत ज्यादा फर्क दिखा लगभग इस पर पूरी तरह से काबू पा लिया था , उस समय प्लेग के रोगी करीब 37 दिने के अंदर मौत हो जाती थी
मनुष्यों के अतिरिक्त
मनुष्यों के अतिरिक्त पेड़ पौधों का भी क्वारंटिन होता है , हमारे यहाँ इसका असर बहुत कम दिखने को मिलता है जबकि अमेरिका , कनाडा , ऑस्ट्रेलिया मे इसका पालन बड़ी कठोरता के साथ किया जाता है यहाँ तक की किसी को अगर भनक भी लग जाय की उसके पास कीटाणु फैलाने वाले कुछ भी है जो पेड़ पौधो का संक्रामक रोग है , तो उसे नष्ट कर दिया जाता है और उसकी पूरी जाँच करके उसका क्वारंटिन किया जाता है /
अगर आपको किसी भी संक्रमिक बीमारी का लक्षण दिखाई देने लगते है तो आपके और आपके पुरे परिवार के लिए बेहद जरुरी है की आप होम क्वारंटिन का नियम अपनाये , इस तरीके को अपनाकर ना आप अपने पुरे परिवार को बचा रहे है वल्कि आप पुरे देश को इस संक्रमण से बचा रहे है ये संक्रमिक बीमारी बहुत खतरनाक होता है , होम क्वारंटिन कैसे करे आइये जाने
- होम क्वारंटिन के लिए सबसे पहले एक हवादार कमरा जिसमे सभी सुबिधाये होना चाहिए
- यदि आप उस कमरे मे अकेले नहीं रह पाए तो आप एक सहयोगी को रख सकते है जो हमेशा आपसे दुरी बनाकर रहे
- आप दोनों व्यक्ति घर के किसी भी सदस्य से नहीं मिले
- अगर आपको संक्रमिक बीमारी का लक्षण है तो आप बीमारी की अवधि के अनुसार किसी शादी , पार्टी , या भीड़ वाले अस्थान पर नहीं जाए
- साबुन से बार बार हाथ धोए किसी ज्यादा अल्कोहल वाले सेनीटायजर का प्रयोग करे
- घर मे किसी भी चीजो को बिना हाथ धोए नहीं छूए
- सर्जिकल मास्क लगाकर रहे , हर 6 -8 घंटे मे मास्क बदल दे मास्क पहनने का सही तरीका का प्रयोग करे
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