बैंक क्या है ?
बैंक क्या है आइए इन्ह तथ्यों को साधारण भाषा मे आसानी से समजते है इनके बारे मे थोरा बहुत जानकारी लेते है
बैंक एक ऐसा वित्तीय संस्थान है जिसमे आम नागरिक अपना कमाया हुआ पैसा जमा रखते है और अपने जरुरत के हिसाब से पैसा निकालते है जब तक आपका पैसा बैंक मे रहता है तब तक का आपको ब्याज दिया जाता है हमारे यहाँ बहुत प्रकार का बैंक है जो अपना ब्याज दर समय के अनुसार निश्चित करता है . उसमे पैसा जमा कर देने से सारा उत्तरदायी बैंक का हो जाता है अब चाहे कुछ भी हो आपका पैसा सभी तरह से सुरक्षित हो जाता है आपका जब मन करे आप अपना पैसा बैंक के निर्धारित समय के अनुसार निकाल सकते है और आप ब्याज भी निकाल सकते है /
जो जनता से धनराशी जमा करना तथा जनता को ऋण देने का काम करती है अपनी बचत राशी को सुरक्षित करते है तथा व्याज कमाने का काम करते है और आवश्यकता अनुसार समय समय पर निकलते रहते है / बैंक इस प्रकार जमा राशी को व्यापारियों और व्याबसयो को व्याज पर ऋण देकर पैसे कमाते है आर्थिक नियोजन के इस युग मे कृषि उद्दोग अवं व्यापर के विकास के लिए बैंक अनिवार्य आवश्यकता मानी जाती है
बैंक राशी जमा करने के आलावा और बहुत से काम भी करते है लोगो को एक अलग से बैंक लाकर की सुबिधा देते है जिनमे लोग अपनी कीमती सामान रखते है इस लाकर का दो चाभी होता है जिसमे एक चाबी ग्राहक के पास और एक चाभी बैंक के पास होता है , और अपने ग्राहक के लिए चेक का भी संग्रहन करता है व्यापारी के विलो का कटोती करना . एजेंसी का काम करना , गुप्त तरीके से ग्राहक की अश्तिथि का जानकारी पुलिस को जानकारी देना . बैंक साख का व्यबहार करता है इसीलिए बैंक को साख का सृजनकर्ता भी कहते है बैंक देश मे बिखरी संपत्ति को देश के विकाश के कामो मे लगता है
भारतीय बैंक कंपनी कानून १९४९ के अनुसार बैंक के परिभाषा अलग दी गई है ?
बैंक ऋण देना और विनियोग के लिए सामान्य जनता से राशी जमा करना तथा चेके द्रफ्ठो आदशो द्वारा मांगने पर उष राशी का भुगतान करना , इश कम को करने वाले संस्थान को बैंक कहते है एक ही कार्यो के लियो व्यापर , वाणिज्य तथा उद्धोग , कृषि की समुचित कार्य को करना कठिन हो जाता है अत ; अलग अलग कार्यो के लिए अलग अलग बैंक अश्थापित किये जाते है जैसे व्यापारिक बैंक , ओधोयोगिक बैंक . कृषि बैंक . वचत बैंक , इन सभी बैंक को चलाने के एक केन्द्रीय बैंक होता है जो देश के सभी को चलाने का संचालन करता है /
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बैंक का इतिहास
बैंक का इतिहास बहुत पुराना है आज से करीब ५०० साल पहले बैंक का आविष्कारक हुआ था , ये इतने पहले से चलते आ रहे है उष समय इतने ज्यादा नियम कानून नहीं था , और खास बात यह है लोग इसके वारे मे उतना जानते भी नहीं थे पहले लोग डरते थे बैंक मे पैसे रखने से , लेकिन धीरे धीरे विश्वास जमने के बाद आम नागरिक पैसे रखने लगे /
विश्व मे पहला आधुनिक बैंक इटली के जेनेवा शहर मे १४०६ मे स्थापित किया गया था इस बैंक का नाम सेंट जोर्ज बैंक रखा गया था जिसको बैंको दी सैन जिओर्जिओं भी कहते थे /
भारत मे बैंक सन १८०६ मे बैंक ऑफ़ कोलकाता. अस्थपित हुआ तथा इसके बाद सन १८४० और १८४३ मे बैंक ऑफ़ बॉबबई और बैंक ऑफ़ मद्रास अस्थापित किय गए ये तीन प्रेसिडेंसी बैंक विदेशी पूजी से संचालित किये गये थे और इसका काम ईस्ट इंडिया कंपनी मे सहायता करना था सबसे पहले सन 1862 मे अबध कोमर्सियल बैंक बनाया गया जबकि इससे पहले भी इलाहबाद बैंक और अलायंस बैंक ऑफ़ शिमला बन चुके थे लेकिन ये दोनों बैंक बिदेशी प्रबंध मे था इसके बाद व्यब्सयियो बांको की संख्या बढ़ती गयी 1906 से लेकर 1923 तक बैंको मे काफी संख्या मे वृद्धि हुई / भारत के प्रशिद्ध बैंक जैसे बैंक ऑफ़ इंडिया , सेन्ट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया , बैंक ऑफ़ बढ़ोड़ा , अस्थापित किये जा चुके थे प्रथम विश्व युद्ध के समय बैंक की हल काफी बिगढ़ गया जिससे बहुत से बैंक ने अपना कम बंद कर दिया , और बैंक की अस्तिथि काफी हद तक बिगढ़ गया , प्रथम विश्व युद्ध के बाद बैंक मे सुधार हुआ सन 1921 मे भारत के तीन प्रेसिडेंसी बैको को मिलाकर इंपीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया बनाया गया भारत का यह सरकारी बैंक था पर जनता के साथ लेन देन भी करता था इसे 1 अप्रैल 1935 को भारत मे रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया घोषित किया गया / भारत मे बैंक संबंधित कानून 1949 मे पास किया गया भारत मे रिसर्च बैंक ऑफ़ इंडिया और इंपीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया का रस्त्रिय्करण 1949 और 1955 मे किया गया जिसमे सभी नियम कानून को संसोधिध किया गया और आम नागरिक की सुबिधानुसार सभी नियम को लगाया गया /
बैंक के सेवाऐ
भारत मे बैंक के सेवाओं को चार भागो मे बाँटा गया है ?
- जनता को ऋण तथा अग्रिम धन देना
- जनता के लिए एजेंट बनाकर कम करना
जनता के राशी को जमा करना
जनता के राशी को जमा करने के लिए बैंक तीन प्रकार के तरह से धन जमा लेता है वह तीन प्रकार के खाता खोलता है जिसमे तीनो का अलग अलग सेवा उपलब्ध करता है तीनो प्रकार के खाता मे पैसा जमा करने का सीमा और निकालने का सीमा भी अलग अलग होता है 1 करंट खात 2 स्थिर खाता ३ बचत खाता /
करंट खाताधारी को बैंक किसी भी समय पैसे निकालने का छुट देता है तथा जितने बार चाहे वह पैसे निकाल सकते है और जमा कर सकते है उस खाताधारक को किसी भी तरह के परेशानी का सामना करना नहीं पढ़ता है उशे सभी सीमा से मुक्त किया जाता है क्योकि करंट खाता उशी को ओपन करता जिसका कौई बिजनेश होता है जिसको पैसे निकालने और डालने मे कोई परेशानी करना नहीं पढ़ता है इसमें बैंक कुछ पैसे रखने का काटते है जिससे वह अपना काम करते है
स्थिर खाताधारक को बैंक अपने हिसाब से व्याज देता है / इस खाता मे ग्राहक को 5 से १० साल तक अपना पैसा फिक्स्ड कारना होता है बैंक अपने हिसाब से ब्याज देता है तथा उस पैसे को बैंक व्यापारियों को अधिक व्याज पर ऋण देता है जिससे बैंक को लाभ होता है /
बचत खाता बैंक सभी आम ग्राहक को खोलने का काम करता है जिसमे आप जब चाहे बैंक के नियमानुसार निकाल सकते है और जमा कर सकते है इसमें जमा करने पर बैंक आपको कुछ ब्याज भी देता है , यह खाता बहुत ही आसान होता है इसमें आपका सैलेरी और अपने परिवार को पैसे भेजने में आसान होता है आज के युग मे एक नागरिक का एक से अधिक बचत खाता है बचत खाता मे पैसा का सीमा निर्धारित किया गया है तथा महीने के पैसे निकालने का भी सीमा निर्धारित किया गया है /
जनता को ऋण तथा अग्रिम धन देना
बैंक के द्वारा ऋण तथा अर्गिम धन कई रूप से दिय जाते है
१ सामान्य ऋण
२ अधिविकर्श द्वारा
३ नकद साख
४ विलो की कटौती करके
बैंक अपने ग्राहक और अन्य विश्वसनीय व्यक्ति तथा संस्थाओ को केबल व्यब्सय अवं उत्त्पदन सबंदी कार्यो के लिए ऋण देते है ऋण देते समय बैंक रिनकर्ता के नाम से एक लेख खोलकर उसमे ऋण राशी जमा कर देते है जिसके बल पर ऋण कर्ता आवश्यकता के अनुसार समय समय पर अपना राशी निकलते रहते है अधिविकर्ष द्वारा ऋण देने से बैंक अपने जमाकर्ता को उसके करंट तथा बचत खाता से अधिक राशी निकालने का अधिकार दे देता है पर ऐसा करने से पहले ग्राहक को अपने बैंक के साथ निश्चित समझौता करना पढ़ता है बैंक व्यब्सयिक माल के जमानत पर तथा प्रन्पत्रो और सख्प्त्रो की साख पर भी ऋण देते है माल को गोदाम मे रखकर ताला लगाकर उसकी जमानत पर ऋण दिए जाते है ऋण देने से पहले बैंक माल के वास्तविक मूल्य पर छूट लगा देते है बिल की कटौती के द्वारा भी बैंक से ऋण प्राप्त किया जाता है कोई भी माल बिक्रेता अपने खरीदार के नाम विनिमय बिल लिखकर उसपर उसकी स्वीकृति प्राप्त करके किसी बैंक से उस स्वीकृति विल की कटौती करा लेता है कटौती करने पर बैंक अपने कमीशन काटकर विलधारक की दे देता है और फिर बिल की अबधि समाप्त होने पर उसे बिल के स्वीकृतिकर्ता से पूरी राशी मिल जाती है ये ऋण अलपकारी ऋण होता है
एजेंसी के द्वारा
बैंक अपने ग्राहक के लिए एजेंसी का काम करती है . ग्राहक के लिए बिलों , चेको तथा प्रन्पत्रो की राशी वशुल तथा उनकी ओर से चुकाए जाने वाले विलो चेको का भुकतान करना . किसी व्यक्ति तथा संस्थान को नियमित रूप से एक निश्चित राशी का भुगतान करना . जैसे आप कोई बीमा करवाते है उसका नियमित रूप से बैंक से अपने आप वीमा को भर देना , जब किसी भी व्यक्ति का सरकारी जॉब होता है उसका पेमेंट एजेंसी के द्वारा ही दिया जाता है . समय समय पर अपने आप उसके खाता मे पैसे ट्रान्सफर करना , सरकार के द्वारा लगये गये इनकम टैक्स वैट टैक्स अपने आप खाता से भुगतान हो जाना ये सभी एजेंसी का ही काम होता है इत्यादि
भारत का बैंक के बारे महत्वपूर्ण जानकारी
होन्ग कोंग और शंघाई बैंकिंग ने एटीएम का कांसेप्ट सबसे पहले लाया था जो भारत मे 1987 मे इसका पहला एटीएम लागु किया था सबसे पहले एटीएम भारत के मुंबई शहर के अँधेरी ईस्ट मे लागु क्या था
बैंक ऑफ़ इंडिया ने सबसे पहला ओवरसीज ब्रांच खोला था , जो भारत के आलावा लन्दन मे 1946 मे खोला था
वो पहला बैंक केनेरा बैंक है जिसने पहला COMMERCIAL BANK को मैनेज किया था ,और भारत का सबसे पुराना बैंक इलाहबाद बैंक है जो पब्लिक सेक्टर का बैंक था भारत का पहला बैंक केनेरा बैंक था जिसे ISO सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ था , ICICI बैंक ने पहले मोबाइल एटीएम को लागु किया था , भारत का सबसे बढ़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया है जिसे अभी के समय मे भारत सरकार चला रही है .इसका HEADQUATER मुंबई मे है इसकी साखा भारत मे ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मे फैली हुई है , भारत के हरेक शहर हरेक मोहल्ला और हरेक कश्बा मे मौजूद है ,